आखिरी छलांग
6,5, 25
भारत का दो भाग किया पर चूक हो गई शासक की, मोदीजी उम्मीद आपसे नापाकको पाठ सिखाने की।
देश समूचा मांग कर रहा, दुश्मनको सजा कडी देने की, आश हमे हनुमान आजके, आखिरी छलांग लगानेकी।।
हिंदू मुस्लिम शिख इसाई, हे सब भाई हमारा, लेकिन पीठ में खंजर मारे वो कैसा भाईचारा।
गिविंदने हे बात बताई, हन ता हे तो हन ने की, आश हमे हनुमान आजके, आखिरी छलांग लगानेकी।।
हे पडोशी ना बदल पाएंगे, कहकर बहुत बहलाया हे, बदल डालो सोच सब ऐसी, वो तो उसको भाया हे,
पहलगांवसे पहेल करो अब, घडी हे आंख दिखानेकी, आश हमे हनुमान आजके, आखिरी छलांग लगानेकी।।
लंकामे भी कुछतो न्याय था, मात को न हाथ लगाया था, पर येतो हे ऐसे राक्षस, देवों को भी डराया था।
ना कोई वहां हे विभीषण, ना संभावना ज्ञानी की, आश हमे हनुमान आजके, आखिरी छलांग लगानेकी।।
शेष नागके शीश पर धरती नजरें कौन उठायेगा, पर घरमे बैठे छुपे सपोले, उससे कौन बचाएगा,
"केदार" भूमि भारत को सजाने, समय हे लंका जलानेकी, आश हमे हनुमान आजके, आखिरी छलांग लगानेकी।।
सर्जिकल स्ट्राइक के समय मोदीजी ने कहा था की सब इधर उधर देखते रहे और हमने हनुमानजी की तरह आसमान से छलांग लगाई थी, तो हम सब आपकी एक और आखिरी छलांग लगानेकी आतुरतासे राह देख रहें हे।
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